एक गांव था उस गांव में तीन भाई रहते हैं। बड़े भाई का नाम रमेश, दूसरे का नाम आकाश, तीसरे का नाम रामप्रकाश ये तीनो अपनी मां आशा जी के साथ रहते हैं। आशा जी के पति जब उनके बच्चे छोटे थे तभी उनका निधन हुआ था।

                  आशाने तब से अपने बच्चो को अकेले ही पाल पोस कर बड़ा किया आशा के पास थोड़ी जमीन थी और चार कमरे का मकान था। आशा के बड़े बेटे का किराने का दुकान  था और दूसरा बेटा शहर में पड़ने के लिए रहता था और छोटा बेटा पढ़ाई में थोड़ा कमजोर था तो वह माँ के साथ घर में ही रहता था 

                  कुछ साल येसेही बीत जाते हैं रमेश ने अपना दुकान को और बड़ा किया उसका सब अच्छा हो रहा है ऐसा देख कर आशा रमेश की शादी करने का फैसला करती हैं। और इस फैसले से तीनो बेटे खुश होते हैं किसकी भाभी माँ समान तो होती है लेकिन भाभी के रूप में एक बहन भी मिलेगी 

                     लड़की देखनेका कार्यक्रम शुरू होता है। हर हफ्ते रमेश, आशा और रामप्रकाश ये तिन्हो लड़की देखने किसी न किसी गांव चले जाते थे, एक लड़की जो कारेगांव में रहती थी उसके साथ उसकी एक बहन और माँ पिताजी और छोटा भाई रहता था उसके घर उस लड़की को देखने जाते हैं। उसका नाम अर्पिता था

                    अर्पिता दिखाने में मैदे की तरह गोरी, चंचल अखो वाली, लंबे गहरे बाल थे उसके आशा अर्पिता की माँ को कहती है बहनजी आपकी बेटी को बुलाओ तभी अर्पिता की छोटी बहन निर्मला अर्पिता को लेने रोसोई में जाति है। दोनो बहने एक साथ आति  है अर्पिता कांदा पोहा लती है और निर्मला चाय का ट्रे

                      दोनो बहने दिखाने में सुंदर थी रमेश ने देखते ही अर्पिता को पसंद कर लिया था आशा अर्पिता को सवाल पूछती है बेटी तुम्हारा नाम क्या है अर्पिता, अर्पिताने जवाब दिया फिर रमेश का छोटा भाई रामप्रकाश सवाल करता है क्या आप खाना बना लेती हो अगर नही भी आता तो मेरी माँ आप को सीखा देगी इस बात पर अर्पिता मन ही मन में मुस्कुराती है। अब बारी आती हैं रमेश की, घरकेे काम के साथ मेरा दुकान में भी हात बटाना पड़ेगा इस सवाल पर अर्पिता शर्मा कर कहती है जी में करलूंगी

                      आशा और रमेश को कान में कहती है मुझे लड़की पसंद है तुम्हारा क्या कहना है। तभी रामप्रकाश कहता है माँ मुझे भाभी पसंद है। भैय्या आप को भी पसंद है ना तभी रमेश अपनी माँ को हा में गर्दन हिलाकर जवाब देता है। फिर आशा कहती है बहनजी आप को बेटी हमको पसंद है आप को क्या मेरा बेटा पसंद है। जवाब देने की जल्दी नही है आप  सोच विचार करके हमें बता सकते हो। 

                  अर्पणा की माँ अपने पति को अंदर आने के लिए कहती है कुछ देर दोनो आपस में बाते करके  आते है और अर्पणा के पिताजी रमेश के पास बैठ कर कहते है हमे भी यह रिश्ता मंजूर है। तभी अर्पणा की माँ मिटाई का डिब्बा लेकर अति है। सब खुश होकर थोड़ी बात चीत करने के बाद आशा कहती है बहनजी भाईसाहब हमे अब आग्या दे

                         तीनो घर की तरफ निकलते हैं। रमेश मन ही मन में अपनी होने वाली पत्नी के बारे में सोच में खो जाता है। और रामप्रकाश भैया भैया निकलो बाहर आइसे कीव बैठे हुए हो कहा खो गए आप फिर भी रमेश को अपने छोटे भाई की आवाज नही आती फिर रामप्रकाश रमेश को हिला कर सोच से बाहर निकालता है और धकेल को अंदर घर के अंदर चला जाता है।

                        आशा हसने लगती है। रमेश शर्मा कर नीचे देखने लगता है। तभी रामप्रकाश पानी लेकर आता है। शर्माना हो गया हो तो अंदर अनेकी तकलीफ लोगे भैया, कुछ देर तक हसी मजाक चालू रहता है फिर रमेश दुकान चला जाता है, आशा रात के खाने की तयारी में लगती है और रामप्रकाश सो जाता है

                        रमेश के दुकान में बहुत भीड़ थी इसी लिए रमेश देर तक दुकान में था फिर आशा रामप्रकाश को उठाती है और रमेश को लाने भेजती है। दुकान में भिड़ थी फिर रामप्रकाश भी गिरायक को समान देने लगता है दोनो भाई सारा काम करके घर लौटते हैं। 

                        दोनो घर आकर हात पैर धो कर खाना खाने बैठते हैं। तीनो खाना खाते खाते गप शप करते है।  फिर रमेश अपना खाना खत्म करके सोने चला जाता है।

                        अगली सुबह अर्पिता के पिताजी का रमेश को फोन आता है। तब रमेश अपनी माँ को फोन देकर कहता है। माँ अर्पिता के पिताजी का फोन है। आशा फोन पर बात करती है तब अर्पीता के पिताजी कहते है बहनजी रमेश और अर्पिता की शादी हम जल्दी रखेंगे, अगले हफ्ते आप हमारे घर आ जाइए शादी के बाद चित करने सब मिलकर कुछ लिस्ट निकालेंगे दूल्हा दुल्हन के कपड़े की खाने पीने की जो तैयारियां करनी है उसके बारे में हम सब मिलकर बातें करेंगे आशा जी भाई साहब हम अगले हफ्ते सब आ जाएंगे आप चिंता ना करे

                        फोन रख कर आशा रमेश और रामप्रकाश को कहते हैं की,  हम को अगले हफ्ते अर्पिता के पिता के घर जाना है। शादी की कुछ तैयारियों के बारे में बात करनी है इसी लिए, क्या अर्पिता भाभी के घर वाले जल्दी नही कर रहे इतनी भी क्या जल्दी है दो महीने बाद  आकाश भैया आने वाले हैं तब हम शादी की तैयारी कीव नही करते, रामप्रकाश अपनी माँ को बोलता है। 

                       अरे बेटा जब शादी फिक्स होगी तब आकाश को बुलाएंगे तुम चिंता मत करो, ऐसा बोल कर आशा चली जाती है कपड़े धोने, चार – पाच दिन बीत जाने के बाद फिर से अर्पिता के पिता का फोन आता है तब रमेश फोन उठता है फिर अर्पिता के पिता कहते है बेटा परसो आप सब आ रहे है ना तब रमेश हां बोल कर दुकान चला जाता है।

                       वहा से समान की चिट्ठी ले कर

  रमेश दुकान का समान लेने कंपनी में चला जाता है शाम को लोट कर आशा को सब बात बता देता है जो अर्पिता के पिता जी ने बोली थी। आशा आकाश को फोन लगा कर सब बाते बताती है और उसको घर आने के लिए कहती है। आकाश माँ की बात मन कर उसी रात घर के लिए निकल ता है। 

                         रामप्रकाश, आकाश के आने के खुशी में उसकी पसंद का माँ को खाना बनाने के लिए कहता है। रामप्रकाश और आकाश एक दूसरे के करीब थे और रमेश उन दोनो से थोड़ा अलग था रमेश जाड़ा समय दुकान में ही बिताया करता था। 

                       अगली शाम को आकाश घर पोहंच जाता है। पहले अपनी माँ के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है। और रामप्रकाश के गले लग कर कहता है क्या छोटे कैसे हो मुझे भूला तो नही ना तभी रामप्रकाश कहता है क्या भैया आप को क्या में भूल सकता हूं आप क्या वस्तु हो आप को भूलने के लिए अरे छोटे जी मजाक कर रहा था जाड़ा उदास होने की जरूरत नहीं है यार

                       क्या तुम दोनो की बाते हो गई हो तो हमसे नही मिलोगे आकाश जी, तब आकाश पीछे पलटता है और अपने बड़े भाई के पास जाकर कहता है। आप ही नही थे तो हम कैसे मिलते आपसे भैया जी, मजाक में कहता है। तभी आशा कहती है तुम भैयोकी बाते हो गई हो तो खाना खाने आ जाओ मेने खाना लगाया है।

                        फिर चारो मिलकर खाना खा कर सो जाते हैं। अगली सुबह आशा जल्दी उठ कर चाय नाश्ता बनाकर अपने बेटो को उठाती है और जल्दी तौर होने के लिए बोलती है कीव को आज अर्पिता के घर जाना है शादी की बाते करने के लिए तुम लोग दिन और दिन अलसी हो रहे हो उठो जल्दी से ऐसा बोल कर कुछ शगुन की तयारी में करने लगती हैं।

                      तीनो तयार हो कर चले आते हैं। आकाश अपनी माँ को मादत करने लगते है। आकाश अपनी माँ को कहता है माँ अगर हमे एक बहन होती तो कितना अच्छा होता ना आप को हर काम में काफी मदत होती और हमे भी तंग करने वाली होती तब रामप्रकाश आता है और कहता है भाभी आने के बाद आपकी यह इच्छा पूरी होगी तभी रमेश पीछे से कहता है तथास्तु और आशा हसने लगती है।

                        सब लोग अर्पिता के घर निकलते हैं। शगुन लेकर, रामप्रकाश और आकाश अपने भाई रमेश का मजाक उड़ा रहे थे। अपने बच्चों को इतना हसी मजाक करते देखे  आशा खुश थी, कुछ समय बाद सब लोग अर्पिता के घर पहुंचते हैं। अर्पिता के माँ –पिता उनका स्वागत करते है और अर्पिता को जोर से आवाज देकर कहते है अर्पिता बेटा पानी लेके आना जरा तुम्हारे होने वाले पति, सासु माँ और देवर आए हैं।

                       अर्पिता पानी लेके अति है, इस बार अर्पिता ने पंजाबी सुट पहना था उस सूट मे अर्पिता बहुत ही छोटीसी, प्यारी गुडिया लग रही थी रमेश तो देखते ही रह गया और आकाश क्या आप हमसे नाही मिलोगे भाभी जि पिछले वक्ता मे नाही था, इस लिये मुलाकात नाही हो पाई लेकीन मे अब हू तो क्या आप हम से नाही मीलोगे तभी आशा काहती हे बेटा अर्पिता ये मेरा मजला बेटा आकाश शहर मे पढाई करता हे, ओर आकाश बहुत ही मजाकी है तुम बुरा मत मांना.

                           अर्पिता नाही माँ इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नही आकाश मेरे भाई जैसा ही है। अर्पिता सरल और साफ स्वभाव की थी उसका मन एक आईने की तरह था, अर्पिता के बात से सब खुश थे और अर्पिता ने सबका मन जीत लिया था तभी अर्पिता की माँ सब को खाना लगाती हैं।

                         खाने में खीर, पूरी, श्रीखंड, साधा चावल, पापड़, मिक्स अचार, आलू हरा मटर और पनीरी की ग्रेवी, और दाल, रायता येसे पकवान बनाए थे, सब एक साथ बैठकर खाने का आनंद लेते हैं। 

                          खाना बहुत ही अच्छा बना था। तभी अर्पिता की बहन कहती है आप को अच्छा लगा खाना मैंने बनाया है और माँ और दीदी ने मदद की थी रामप्रकाश कोहनी मरते हुए रमेश को कहता है, बड़े भैया क्या आकाश भैया आपकी साली सायबा पर लट्टू हुए जा रहे है। रमेश चुप बैठ नही सकते तुम???

                           फिर रामप्रकाश जोर से कहता है।  क्या हम भैया के साथ साथ आकाश भैया की शादी करवा देते हैl अबे साले चुप बैठ मरवा देगा क्या मुझे फिलहाल शादी नहीं करनी पड़े खत्म करनी है फिर अच्छे से जॉब पर लगा लूंगा उसके बाद शादी करूंगा अगर आप लोग मेरे लिए लड़की देखना चाहते हैं तो पसंद करके रख सकते हो मुझे कोई दिक्कत नहीं

                              आशा कुछ जाड़ा ही मजाक हो रहा है आकाश को कहती है फिर आकाश माफ करना में मजाक कर रहा था। अर्पिता के पिता हंसते हुए कहते हैं अगर आप सबके बातें हो चुकी हो तो हम शादी की तैयारियों के बारे में कुछ बातें करें तभी आशा कहती है  जी बिल्कुल भाई साहब तब रमेश और अर्पिता के पिता वही पैन लेके बैठते हैं

                           जो भी खर्चा होगा वह सब आधा-आधा होगा खाने वाले का मंडप का कपड़ों का हम सब मिलकर करेंगे आपको क्या लगता है बहन जी तमाशा कहते हैं दुल्हन का जोड़ा मिलेंगे क्योंकि शगुन दुल्हन का ससुराल से आता है तुम्हारे पिता के पिता जी के दीजिए ठीक है फिर दूल्हे का जोड़ा हम देते हैं। 

                             ऐसे ही कुछ बातें करते करते कब रात हो गई पताही नही चला सब थक जाते हैं फिर आशा और अर्पिता की माँ दोनो सबको सोने के लिए बिस्तर लगाते हैं और सब सो जाते हैं आकाश को चार दिन की छुट्टी थी इसलिए अगली सुबह सब जल्दी उठकर नाश्ता चाय पी कर अपने घर चले जाते हैं।

                           घर आने के बाद थोड़ी देर सब बैठते हैं। तब आकाश कहता है भैया आज दुकान मत जाओ और माँ तुम खाने में कुछ जाड़ा मत बनाओ तभी आशा कहती है कीव बैठा ऐसा कीव बोल रहे हो तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना फिर आकाश कहता है कल मुझे शहर जाना है अगले हफ्ते परीक्षा है फिर छुट्टियां चालू होंगी तब ही भैया की शादी करवाएंगे रमेश कहता है ठीक है आकाश तुम जैसा बोलोगे वैसा ही सब होगा आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो मन लगाकर पढ़ना और अच्छे मार्क्स लाना

                             ठीक है भैया लेकिन आज मुझे मेरे घर वालों के साथ ही रहना है इसलिए मा कुछ ज्यादा काम मत करो और भैया आप दुकान मत जाओ और रामप्रकाश तुम भी घर पर ही रहो हम सब मिलकर आज

 ढेर सारी बातें करेंगे मुझे आज का दिन मेरे परिवार के साथ बिताना है तभी हम आशा करते हैं ठीक है बेटा

                             फिर सब मिल के ढेर सारी बातें करते हैं ऐसी मजाक करते हैं साथ में ही खाना बनाते हैं सब मिलकर खाने का आनंद लेते हैं और छत पर किस तरह लगाते हैं खुले आसमान में सोने का कुछ अलग ही मजा होता है ऐसा करता है तभी रामप्रकाश करते हैं हां भैया आपको तो बहुत जल्दी हो गई है आसमान में चांदनी रात में सोने का मुझे ऐसा क्यों लग रहा है आप को भी शाद की जल्दी हो रही है

                       रमेश क्या आकाश शादी के लिए हां बोल दे मेरी साली साहिबा से तुम्हारी शादी करवाने के संबंध में लेता हूं अपने ससुर से बात करके तुम कहो तो अभी फोन लगा दू अरे नहीं नहीं भैया मैंने अभी तक सोचा नहीं कुछ नहीं फिलहाल तो पढ़ाई करनी है लेकिन भविष्य में अगर मेरी शादी होगी तो मैं आपकी साली सायबा से ही शादी करूंगा चिंता मत करो आप 

                        फिर आशा कहते हैं बच्चों आप सो जाओ आकाश तुम्हें सुबह जल्दी उठकर जाना है इसलिए तुम सो जाओ कुछ दिनों की बातें फिर तुम हम सब के साथ ही होगे जी माँ ऐसा बोलकर आकाश सो जाता है। आकाश के सोने के बाद रामप्रकाश अपनी मां को और बड़े भाई को कहते हैं भैया की पढ़ाई होने के बाद उनको यहां ही रहने के लिए बोलते हैं शहर जाकर कितने दुबले पतले हो गाइए हैं। शहर में उनका ख्याल रखने के लिए कोई नहीं है यहां पर मैं हूं आप हो भाई हैं अब कुछ दिन बाद भाभी  भी होंगे तो आकाश भैया को शहर जा कर पढ़ाई करनेकी क्या जरूरत है यहा रहकर भी पढ़ाई होगी ना माँ

                       रमेश कहता है अगर उसे शहर में पढ़ाई करनी हे तो आकाश कर सकता है उसकी पढ़ाई के बीच हम नही आयेंगे अब चलो सो जाओ फिर तीनो सो जाते है। अगली सुबह आशा जल्दी उठ कर आकाश के लिए बूंदी के लड्डू, बेसन के लड्डू और चकली और साथ में कुछ खाने के लिए बनाती हे और डब्बे भर कर एक कोने में रखती हैं। रमेश भी अपनी माँ को मदात कर रहा था 

                         आकाश नहा धोकर तैयार हो गया और अपने समान के साथ डिब्बे देखा कर कहता है माँ इस में क्या है आशा कहती है तुम्हारे लिए है हॉस्टल का खाना खाया नहीं जाता ना इसलिए मैंने और कुछ खाने की चीजें भरी हुई है तुम को छोड़ने के लिए रमेश मीणा रहा है क्योंकि तुम अकेले ही सब सामान नहीं लेकर जा पाओगे इसीलिए मेने रमेश को कहा तुम भी चले जव और रमेश रात को फिर वापस आजाएगा तुम फिकर मत करो

                        आकाश हा में गर्दन हिलाकर नाश्ता करने बैठता है और रमेश ऊपर छत जाकर रामप्रकाश को उठाता है और दोनो नीचे आते है रामप्रकाश नहाने के लिए जाता है और रमेश नाश्ता करने बैठता है। कुछ एक घंटे बाद तीनो भाई तयार हो कर निकलते हैं तब आशा कहती है रामप्रकाश तुम कहा जा रहे हो तभी आकाश कहता है तुम माँ के साथ घरपे रहो फिर रामप्रकाश, आकाश की एक बैग उठाकर कहता है में तुम दोनो को बस स्टेशन छोड़ने के लिए चल रहा हूं 

                        तुम तीनों बहस मत करो और आकाश जब रामप्रकाश आना चाहता है तो उसे भी लेकर जाओ और रामप्रकाश तुम दोनों को छोड़कर जल्दी वापस घर आ जाओ ठीक है माँ ऐसा बोल कर तीनो निकलते हे बस स्टेशन पास में ही था तो जल्दी पहुंच जाते हैं। फिर रमेश, रामप्रकाश को कहता है तुम जाओ अब घर माँ अकेली है।

                            रमेश की बात मन कर रामप्रकाश, आकाश को कहता है संभल के जाना खुद का ख्याल रखो पढ़ाई जमके करना और जल्दी से वापस आ जाओ और बड़े भैया आप आकाश भैया को छोड़ने के बाद भी जल्दी से घर आ जाओ नही तो भाभी से मिलने चली जाओगे हा बिलकुल आपका कोई भरोसा नहीं आप जा भी सकते हो अरे निकम्मो कुछ तो शर्म करो अपने बड़े भाई से कोई ऐसे बात करता है क्या 

                        रामप्रकाश तब कहता है घुसा कीव करते हो भैया में तो मजाक कर रहा था फिर आकाश कहता है क्या भैया आप कीव मेरे छोटे को डाटा तब रमेश ठीक है ठीक है तुम दोनो का नाटक हो गया तो तुम छोटे जाव अब घर माँ इंतजार कर रही होगी ठीक है  चलता हूं ध्यान रखो अपना अपना ऐसा बोलकर रामप्रकाश चला जाता है।
                          थोड़ी देर में बस अति है और रमेश, आकाश बस में बैठ कर अपने सफर में निकल ते हे दूसरी ओर रामप्रकाश घर के लिए निकलता तो हे लेकिन उसका अपघात होता है। आस पास के लोग रामप्रकाश को हस्पताल में दाखिल करते है।
                      आशा बेचारी रामप्रकाश का इंतजार करते बैठी थी लेकिन दो–तीन आदमी आशा के घर आते है। बहनजी, बहनजी तभी आशा अति है और कहती है क्या बात हे भाई साहाब तभी एक आदमी कहता हे रमेश की माँ आपके छोटे बेटे रामप्रकाश का छोटा अपघात हूवा है। पास के हस्पताल में दाखिल कर दिया है। आप रमेश को भेज दो तभी आशा रोने लगती है।
                       भाई साहाब क्या बताए आकाश को छोड़ने रमेश शहर गया है। में जाति हूं, तभी एक पोडोस का आदमी कहता हे भाभी चलो में चलता हूं आप के साथ, दोनो निकल ते हे आशा अपने आसू रोक लेती है। रिक्षा में बैठ कर हस्पताल की ओर चले जाते है।
                      रामप्रकाश बेहोश था थोड़ी चोट थी लेकिन सिर पर लगी थी इसी लिए रामप्रकाश बेहोश था एक नर्स सलाइन लगा रही थी और गांव के कुछ पहचान वाले लोग थे आशा रामप्रकाश के पास बैठ कर फूट– फूट कर रोने लगती है। तभी रामप्रकाश को होश आता है।
                      माँ, माँ कीव रो रही हो??? मुझे कुछ नही हुआ रोना बंद करो ऐसा रामप्रकाश बोलकर अपनी माँ का हात, हात में लेकर कहता है। मुझे कुछ भी नही हुआ देखो में ठीक हु. बड़े भैया का फोन  अगर आता है तो उनको कुछ मत कहो बेकार में परेशान होंगे
                       आशा हा में गर्दन हिलाती है। और कहती हे तुम्हारा अपघात कैसे हुआ??? फिर रामप्रकाश कहता है की में बस स्टेशन पर भैया का मजा ले रहा था और भैया ने मुझे डाट कर कहा माँ घर पर अकेली है। तुम घर चले जाओ फिर में वहासे निकल कर जा रहा था और अचानक बुलेट वाले ने धड़क दी और में एक बड़े फतर पर गिर गया उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं और जब होश आया तब तुम रो रही थी।
                     माँ मुझे घर जाना है। मुझे हस्पताल में नही रहना और मुझे भूख लगी है। मुझे लड्डू खाने हे अब तक आकाश भैया और रमेश भैया ने खाए होगे ना और में यहां लेटा हू माँ डॉक्टर के पास जा कर मुझे कब छुट्टी मिलेगी वह देख कर आजाओं आशा ठीक हे बोलकर डॉक्टर को मिलने चली जाती  है
                      आशा डाक्टर के पास जाकर कहती है। मेरे बेटे को कब छुट्टी मिलेगी क्या में आज लेजा सकती हूं। तब डॉक्टर कहते है सलाइन खत्म होने के बाद हम डिसचार्ज करवा देंगे आशा वहा से निकल कर रामप्रकाश के पास आती हैं। डॉक्टर ने जो कहा वह बात रामप्रकाश को बताती हैं।
                    रामप्रकाश मायूस हो कर बैठता है। आशा कहती है की तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूं रामप्रकाश मना कर देता है। रामप्रकाश के पेट में तो चूहे दौड़ रहे थे लेकिन छुप छाप बैठ गया। कुछ देर दोनो में खामोशी छा जाती हैं। फिर रामप्रकाश आशा की ओर देखता है तो आशा सो चुकी होती है।
                      फिर रामप्रकाश कहता है माँ उठो बाजू वाले चारपाई पर सो जाओ में भी  सोता हूं ऐसा बोल कर दोनो भी सो जाते है। और रमेश, आकाश शहर के नजदीक आते है ढाबे पर खाने के लिए उतार कर अपनी माँ ने दिया खाना खाते बैठते हैं। तभी आकाश अपना फोन निकल कर रामप्रकाश को फोन लगता है।
                    रामप्रकाश हड़बड़ी से उठ जाता है। फोन पर अपने भाई का नंबर देख परेशान होता है। लेकिन फोन उठाने के बाद फोन उठता है और नींद में होने की आवाज से बात करता है। हा भैया बोलो ना कहा तक पोहुंचे तब आकाश कहता है ढाबे पर रुकी हे बस और हम खाना खा रहे है तूने और माँ ने खाना खाया ना फिर रामप्रकाश कहता है हा दोनो ने साथ में खाना खाया और सो रहे थे आप को माँ से बात करनी हो तो में उठता हूं
                     आकाश कहता है नही नही रहने दे सो जा तू हम भी निकले वाले हे ऐसा बोल कर दोनो फोन रखते हैं। और रामप्रकाश फिर से सो जाता है। तब नर्स आकर डिसचार्ज की चिट्ठी और दवाइयां देकर चली जाती हैं। कुछ देर बाद आशा नींद से उठ जाती हैं। रामप्रकाश का सलाइन भी खतम होने वाला था नर्स को भुला कर सलाइन निकल ने के लिए कहती है।
                  थोड़ी देर नर्स रुकती हैं फिर सलाइन निकलती है तभी रामप्रकाश को आशा उठाती है और नर्स सब चिट्ठियां दे कर वहसे चली जाती है फिर रामप्रकाश अपनी डिसचार्ज करवा के अपनी माँ के साथ घर चला जाता है।
                     घर जाने के बाद थोड़ी देर दोनो बैठते हैं। फिर खाना खाते हे आशा रामप्रकाश के कपड़े धोने जाति है। कुछ देर बाद अर्पिता और उसके माँ, पिता आते है। रामप्रकाश T.V देख रहा था और तभी आशा अति है अर्पिता और उसके घर वालोंको देख कर आशा चोक जाती है।
                      बहनजी आइए ना अचानक कैसे आना हुआ सब ठीक हे ना, तभी अर्पिता के पिता कहते है हम तो सब ठीक है लेकिन रामप्रकाश का अपघात हुवा आपने बताया नही हमारे पड़ोस के आदमी ने मुझे बताया और फिर हम सब चले आए देखने के लिए
                     आशा कहती है मुझे अच्छा लगा आप सब रामप्रकाश को मिलने आए आप सब बैठो में चाय नाश्ता बना कर लाती हूं तभी अर्पिता कहती हैं माँ इसकी कोई जरूरत नहीं है अभी रात भी हो गई है हमने आते वक्त हम सब का खाना बनाकर लाया है।
                    अर्पिता के बातो से आशा का मन भर आता है और वह रोने लगती है। रामप्रकाश भी उदास हो जाता है अर्पिता कहती हे क्या हवा माँ आप रो कीव रहे हो मेने कुछ गलत कहा हो तो मुझे माफ करदो तभी रामप्रकाश कहता है भाभी आप माफी मत मांगों, माँ को बेटी चाहिए थी लेकिन नही हुई तो माँ को हमेशा बेटी की कमी महसूस होते है। इसी लिए माँ रोने लगी
                    अर्पणा निचिंत होके बैठती है। फिर अर्पणा की माँ कहती है ससुराल में पहली बार आई हो तो क्या ऐसे ही बैठो गी चल उठ और खाना गर्म करके सबको खाना परोसो तब आशा कहती हे बहनजी हमारी बहु पहली बार आई है तो उसे कीव काम पे लगाना में करती हूं ना
                      ऐसा बोल कर आशा रसोई की तरफ जाति है। और उसके पीछे अर्पणा और उसकी माँ भी चली जाती है। अर्पिता के पिताजी और रामप्रकाश दोनो बाते करते बैठते हैं। तभी रमेश का फोन आता है। फिर रामप्रकाश फोन उठाकर बोलने लगता है तभी अर्पिता अपने पिताजी और रामप्रकाश को कहती है खाना लग गया है। आप दोनो सजाओ
                      दूसरी ओर फोन में से रमेश कहता है
घर पर कोन है क्या अर्पिता आई है??? तभी रामप्रकाश अपनी माँ की तरफ जाता है और माँ को फोन देता है। फिर आशा कहती हे बेटा अर्पिता को मेने फोन किया था की सब लोग आज खाने पर आने के लिए तू बात करेगा अर्पिता से??? फिर रमेश कुछ बोलता तभी अर्पिता को आशा फोन थामा देती है।
                        अर्पिता हेलो कैसे हो आप??? खाना खाया, रमेश नही अभी करने बैठा था लेकिन घर की याद आई इसी लिए फोन किया, फिर अर्पिता कहती है सफर कैसा रहा??? ठीक रहा बस में एक ही जगह बैठ – बैठ कर कमर और पेरो में दर्द होने लगा है। तभी आकाश कहता हे भैया आगर बहुत दर्द हो रहा हे तो में दबादु साथ में गला फ्री दबाऊंगा मेरी प्यारी भाभी को कीव तकलीफ देना
                        सही कहा ना भाभी आपके पति कल शाम तक घर आजायेंगे और आप घर मत जाना हमारे प्यारे भाई का इंतजार करना और हसने लगता है। अर्पिता शर्माती हे और जी कहती है। तभी रमेश बोलता हे चुप चाप खाना खा तभी अर्पिता कहती हे जी सुनिए आप भी खा लीजिए में भी खाना खाने जाति हु सब इंतजार कर रहे हैं। रमेश कहता हे ठीक ही है जाओ और सब को मेरा प्रणाम बोलना में शाम तक आऊंगा तुम जाना मत
                 फिर फोन रख कर अर्पित सबके पास जाति हे और कहती हे उन्होंने कहा हे की कल शाम तक में  लोठूंगा आप सब जाने की जल्दी मत करना में घर छोड़ने आऊंगा फिर अर्पिता के पिताजी ठीक हे बोल कर
     खाना खाने लगते है। अपनी बेटी को खुश देख कर अर्पिता की माँ और आशा एक दूसरे को देख कर मुस्कुराती है तभी रामप्रकाश कहता है भाभी अगर आप जाना चाहती हो घर तो में आप को छोड़ दूंगा घर मामा जी और मामी जी कल परसों लोठेंगे घर क्या छोटे तुम्हारा क्या कहना है तब अर्पिता का छोटा भाई हर्षद जोर से हसने लगता है। 

                       फिर आशा कहती हे रामप्रकाश कुछ जाड़ा नही होरा, चुप चाप खाना खाकर सो जा फिर सब हसी मजाक करके खाना खाते हे और इधर उधर की बाते करते करते सब सो जाते है।

                      अगली सुबह आशा जल्दी उठाती है। सबके लिए खाना बनाने लगती हे कुछ देर बाद अर्पिता और उसकी माँ भी तयार हो कर रसोई में चली अति है। फिर अर्पिता कहती है क्या माँ सुबह जल्दी उठकर बना रहे हो मुझे बोला होता हो में भी मदद करती तब आशा कहती है तुम सबके लिए नाश्ता बनाओ 

                        में खाना बनाती  हु  और शाम को रमेश आने वाला है तो रात के खाने में मेरी मदद करना तुम को भी रमेश के पसंद के बारे में पता चलेगा अब 8 दिन की तो बात हे फिर रमेश का खयाल उसकी पसंद नापसंद का खयाल तुमेही तो रखना हे तभी अर्पिता की माँ कहती हे अर्पिता बहनजी सही बोल रही है।  

                       फिर अर्पिता नाश्ता बनाने लगती है और उसकी दोनो माएं खाना बनाने में फिर रामप्रकाश और अर्पिता के पिताजी आकर TV देखने लगते है। फिर आशा कहती हे बेटा रामप्रकाश रमेश को फोन करके पूछो घर आने के लिए निकला की नही फिर रामप्रकाश  फोन करने लगता है तभी रमेश का ही फोन आता है रामप्रकाश कहता है माँ भैया का ही फोन आया है 

                         रमेश में बस स्टैंड  पे हूं आकाश को बोला तू कॉलेज के लिए चला जा और में अकेला आया हु और जब बस मिलेगी तभ फिर से फोन करूंगा तभी आशा फोन पर कहती हे बेटा बाहर नाश्ता कर लो तब रमेश कहता हे मेने चाय पी हे और साथ में लड्डू रखे हे वह खा लूंगा और ढाबे पर जब बस रुकेगी तब खा लूंगा खाना आप चिंता मत करो 

                      तब आशा ठीक हे बोलती है और तभी रमेश कहता हे माँ सब ठीक हे ना मुझे कीव ऐसा लग रहा  है की आप मुझसे कुछ छुपा रहे हो रामप्रकाश भी बोलते वक्त लड़खड़ाके बात करता हे और अर्पिता और उसके मां पिताजी भी आये है आशा कहती हे ऐसी कोई बात नही है तुम जल्दी से  आ जाओ  ठीक हे बोल कर फोन रख देता है।

                  फिर रामप्रकाश नाश्ता करके जाने लगता है तभी आशा बोलती हे तुम कहा चले  में दुकान चालू करने जा रहा हु फिर आशा बोलती हे नही एक दिन बंद रहेगा तो कुछ बिगाड़ नहीं जायेगा तुम आराम करो अर्पिता के पिताजी भी कहते हे हा बेटा आराम करलो बहनजी की बात सुनो 

                      रामप्रकाश ठीक हे बोल कर TV देखने लगता है। कुछ देर बाद खाना भी बन जाता है सब TV देखने बैठते हे और अर्पिता कपड़े धोने जाति हे, उसके जाने के बाद अर्पिता के पिताजी कहते हे मेरी बेटी बहनजी आपके पास खुश रहेगी उसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ साफ दिख रही है। जी भाईसाहब अर्पिता के आने से हमारा घर भी भर जाए गा मुझे बहु नही बल्कि बहु के रूप में बेटी ही चाइए 

                     कल को मेरे दोनो बेठोंको शादी भी होजाय तभी में अर्पिता को उतनाही प्यार करूंगी जितना अब करती हु और मेरे तीनो बहुए मेरे लिए एक समान ही होंगे आप की बेटी को अभी और तभी कभी मुश्किल में नही डालूंगी फिर अर्पिता की माँ बोलती हे बहनजी आप पर पूरा भरोसा है।

                     तभी अर्पिता अति है। क्या बाते हो रही है जरा मुझे भी बताओ तब रामप्रकाश बोलता ही भाभी आप की बुराई हो रही है आप के पीछे पीछे क्या आप को पता नहीं तभी अर्पिता के पिताजी हसने लगते है और बोलते है पास के गांव में मेरा काम है तो में दुपहर के वक्त आता हूं। और चले जाते है।

                      आशा रामप्रकाश को बोलती हे बेटा आकाश को फोन लगाना जरा कलसे बात नही हुई फिर रामप्रकाश फोन लगता है लेकिन आकाश फोन नही उठता और रामप्रकाश बोलता हे माँ भैया फोन नही उठा रहे बाद में फोन करता हु तभी रामप्रकाश का msg आता है की में क्लास में हू छुट्टी होने के बाद फोन करता हु फिर रामप्रकाश अपनी मां को बताता है। और कहता हे भाभी आपके पास फोन रखो मेरे सिर में दर्द हो रहा हे में गोलियां लेकर सोता हूं आप भैया का फोन आने के बाद मां को देना और चला जाता है।

                        अर्पिता tv देखने लगती है और आशा और अर्पिता की मां कुछ शादी की बाते करते बैठते हे। कुछ देर बाद दोनो बाहर अति है तो अर्पिता खुर्ची पर ही बैठ कर सोई हुई दिखती है। फिर अर्पिता की मां अर्पिता को जगाने जाति है तो आशा कहती हे सोने दो उसे थक गई होगी 

                    अचानक से फोन की आवाज आने लगती हे तब अर्पिता हड़बड़ाके उठाती है तभी आशा कहती हे बेटा थोड़ा धीरे घिर जाओगी किसका फोन हे तब अर्पिता बोलती हे आकाश भैया का फोन और फोन को आशा की तरफ बढ़ती है। 

                    आशा आकाश से बात करने लगती हे कुछ देर बात करके अति है तभी रमेश का फोन आता हे फिर आशा अर्पिता को आवाज देती है और फोन उठाने को कहती हे। फिर अर्पिता बोलती हे उनका फोन हे तब आशा बोलती हे तुम बात कारलो फिर मुझे देना में तुम्हारे मां के पास जाति हु तुम आरामसे बात कारलेना 

                   आशा tv देखने बैठती है फिर अर्पिता की मां बोलती हे अर्पिता किस्से बात कर रही है तब आशा कहती हे रमेश का फोन है । कुछ देर बाद अर्पिता आशा को फोन देता है। तभी रामप्रकाश नीचे आता है और बोलता हे मां किसका फोन हे तब आशा कहती हे तुम्हारे भैया का ठीक हे बोल कर रामप्रकाश हात मुंह धोने चला जाता है आशा फोन पर बात करके अति ही तभी अर्पिता के पिताजी आते है

                    आशा कहती हे में खाना लगाती हूं सबके लिए फिर अर्पिता साथ चली जाती है। दोनो मिलकर खाना परोसते हे फिर सब साथ मिलकर खाना खाते हे दुपहर का वक्त था अर्पिता को बार बार हिचकी या लग रही थी तब रामप्रकाश कहता हे भाभी जी भैया का नाम लो हिचकी रुक जाएगी आशा रामप्रकाश को कोहनी मरते हुऐ कहती हे चुप बैठ नही सकते 

                     तभी अर्पिता के पिताजी कहते हे आप कीव डाट रहे हो बच्चे हे मजाक तो करते रहेंगे फिर आशा कहती हे खाना खाना खाने के बाद अर्पिता बेटा सो जाओ शाम को रमेश आने वाला है ना तो में भी कुछ देर आराम करके रात के खाने के लिए तैयारी करने वाली हूं।

                     अर्पिता के पिता जी कहते हैं कि हमें भी शादी के बारे में कुछ बातें करनी है तो रमेश जी आने के बाद हम सब बातें करेंगे, शादी के लिए अब सिर्फ 7 दिन ही बचे हैं। जी भाईसाहब 7 दिन ही रहे है बहुत सारी तायरिया करनी हे में तो अकेली हूं कुछ रिश्ते दर 5 दिन पहले ही आने वाले हैं। लेकिन बहनजी हम दोनो कपड़े लेने जाए तो कैसा रहे गा आगर आप को ठीक लगे तो ही

                     अर्पिता की मां कहती हे नही, नही बहनजी एसी कोई बात नही है। हम दोनो साथ में कपड़े लेने जाएंगे  फिर सब सोने जाते है और रामप्रकाश tv देखते बैठता है। ओर आकाश को फोन लगता है और कहता हे भैया आप की परीक्षा कब हे आप जल्दी से वापस आजा यहां पर शादी की तैयारियां शुरू होने वाली है और मां कहती अर्पिता भाभी की मां को लेकर कपड़े लेने  के लिए जाने वाली हे मुझे भी जाना है।

                   हम दोनो को छोड़ कर सारी तायारिया होने वाली हे कोई हमारे बरेमे बात नही करता हमारे घर की पहली शादी हे तो क्या हमे इतना भी हक नही की हम भी कुछ करे हमे तो कोई कुछ बताता भी नही और पूछता भी नही  रामप्रकाश की बात सुनकर आकाश जोर जोर से हसने लगता है और कहता हे 2 दिन में मेरी परीक्षा खतम होने वाली हे और में जल्दी आने की तयारी कर रहा हु तू फिकर मत कर मेरे लाल, 

                  तब रामप्रकाश मुंह फुलाकर बैठता है। और फोन रख कर कुशन पे फेकता हे। और मन ही मन में बडबडा ता है हमारी तो कोई इजत ही नही करता में सबसे छोटा हु ना इसी लिए सब ऐसा करते हैं। और बड़े भाईसाहब तो क्या सब के हा में हा जी हा जी करते रहेंगे रामप्रकाश  छोटे बच्चोंकी तरह मुंह फूला कर सो जाता है

                    शाम होने लगती हे तो आशा रमेश के लिए खाना बनके लिए चली जाती है। फिर अर्पिता अति है चाय बनाने लगती हे दोनो सास बहू चाय पी कर बाते करते बैठती है साथ में रमेश की पसंद की सब्जियों को साफ करती है। दोनो खाना बनाने लग जाति हे कुछ देर में खाना भी बन जाता है।

                    अर्पिता की मां कहती हे माफ करना बहनजी रात में अच्छे से नींद नही आई तो अभी बहुत नींद आइ थी इसी लिए उठ ना पाई तभी आशा कहती हे कोई बात नही आप बैठो में चाय लेकर अति हु अर्पिता कहती हे मां आप बैठो में लेकर अति हू फिर अर्पिता चाय लेकर अति ही अब अंधेरा होने लगता है रामप्रकाश उठकर कहता है मां अंधेरा होने लगा है लेकिन भैया नही आए आभितक में फोन करके पूछता हु

                     फोन करने पर फोन नही लगता तो रामप्रकाश कहता हे शायद फोन में चार्जिंग नही होगा  सब TV देखने तो लगते ही लेकिन निघाए तो दरवाजे पर ही  अटकी थी अब रात भी हो गई है अभितक रमेश कीव नही आए ऐसा अर्पिता की मां कहती हे रात के 9 बजे हे अभितक नही आए 

                       तभी दरवाजे पर रमेश की आवाज आती हे मां, मां रामप्रकाश कहा हो तभी आशा जाति हे और रमेश के हात से समान लेती है कोई कुछ बोले उससे पहले रमेश बोलता हे अर्पिता और उसके मां पिताजी पहली बार आए हैं इसी लिए कपड़े और कुछ मिठाई लाने गयाथा इसी लिए देर हो गई  

                    में नहा कर आता हु पसीना से शरीर दर दर हो गया है। ऐसा बोल कर चला जाता है अर्पिता मन में हो सोचने लगती हे की  मेरी तरफ एक बार भी नही देखा और में उनको देखने के लिए आज का दिन रही हू तभी अर्पिता के पिताजी कहते हे क्या हुआ चेहरा कीव उतरा हुआ लग रहा ही तब आशा कहती हे अर्पिता बेटा रमेश के लिए चाय बना दो तब रामप्रकाश बोलता हे नही मां भैया चाय तो नही पीएं हम खाना लगाते हे

                 तभी रमेश आता है और अपने सास ससुर को प्रणाम करता हे तभी रमेश की नजर रामप्रकाश पर जाति हे और घबरा कर बोलने लगता है छोटे क्या हुआ तुझे यह चोट कैसे लगी क्या हुआ है मां मेने आपको पूछा था ना क्या बात हे तभी अपने कुछ नही कहा  अर्पिता घबरा कर अपनी मां हात पकड़ लेती है और आशा सब कल के बारे में बताती हे और रमेश के अखोसे आसू आने लगते है 

                 रामप्रकाश कहता हे में अभी ठीक हु भाई और हल्की तो चोट हे ना आप परेशान ना हो तभी आकाश का फोन आता हे और रमेश सारी बात आकाश को बोल देता है। आकाश को तो कुछ समाज नहि आता की वह क्या करे फिर रामप्रकाश फोन रमेश से लेता है और आकाश को बोलता हे भाई मुझे कुछ भी नही हुआ आप अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो में ठीक हु भैया ने आते ही मेरे सिर की पट्टी देखी तो हाइपर हो गए है 

                  आप परेशान ना हो तभी आकाश रोई सी आवाज में बोलता हे तुम्हे कुछ हो जाता तो में कभी जिंदगी में खुद को माफ नही कर पता पगले मुझे एक बार बोला होता तो में चला आता मेरी पढ़ाई से पहले मेरा परिवार हे रामप्रकाश फूस फुसाने लगता है तभी आशा फोन लेती हे और बोलती हे बेटा आकाश अपनी पढ़ाई में ध्यान देना रामप्रकाश ठीक हे आज तो दुकान भी जाने वाला था लेकिन मेने उसे रोका 

             तुम खाना खा कर सो जाना में रखती हु फोन और आशा रमेश को डाट लगती हे घर में पहली बार अपने ससुराल वाले ये है तो ऊनी तरफ ध्यान दो देखो अर्पिता डर रही हे तुमसे तब अर्पिता के पिताजी कहते हे की रमेश जी का घुस्सा जायज है। आखिर उनको भी अपने भाई की चिंता है रमेश शांत हो कर सब सुनता है

                रामप्रकाश, रमेश के खंडे पर सिर रख कर  कहता हे में ठीक हु ना आपकी यदि की तयारी करनी हे आपकी शादी होने वाली हे आप उस पर ध्यान दो में बिलकुल ठीक हु समझे मुझे भूख लगी ही खाने में खाना मिलेगा या सबकी बाते मिलेगी चलो चलो उठो सब और आशा अर्पिता को लेकर चली जाती हे खाना लगाने 

                  अर्पिता की मां बोलती हे आप भाई ओ का प्यार और साथ येसहि रहे में खुश हु की मेरे बेटी के लिए एक अच्छा परिवार अच्छे देवर कम और भाई जाड़ा मिले हे प्यार करने वाली सास और जीवन भर साथ निभाने के लिए आप जैसा पति

                  अर्पिता अति हे और सबको खाने के लिए बुलाती है रमेश जाते जाते अर्पिता को कहता हे मुझे माफ करदेना छोटे की हालत देख कर में घबरा गया था और मुझे खुशी है की आप और आपका परिवार मेरे पीछे एक साए की तरह साथ रहा फिर सब खाना खाने लगते है खाना खाने के बाद रमेश सबके लिए जो लाया हे वह सबको देता है।

                      सब सोने चले जाते हे रात बहुत हो गई थी। रमेश, रामप्रकाश को बोलता हे तुम मेरे साथ सोने चलो तब आशा कहती हे सिनेही चले जाना रामप्रकाश ठीक हे बहस मत करते बैठना और चली जाती हे रमेश, रामप्रकाश को अपने बाहों में लेकर उसे सुलाने लगता है। रामप्रकाश रोने लगता है और कहता हे भैया आगर पिताजी होते तो मुझे आपकी तरह ही सुलाते ना आप मेरे लिए एक भाई नही बल्कि एक पिता ही हो 

                रमेश कहता है सो जाओ अब सर में दर्द होगा दवाइयां खाई ना तब तक रामप्रकाश सो गया था। रमेश के पिताजी गुजरने के बाद रमेश नही दोनो भाई को पिता का प्यार देने की कोशिश की है और सारी जिमेदारी भी ली थी 

                 अगली सुबह अर्पिता और उसके मां पिताजी अपने अपने घर जाने वाले थे इसी लिए सब जल्दी उठे थे और चाय नाश्ता होने के बाद शादी की तयारिओ के बारे में बाते करने लगते है फिर रमेश उन तिन्हों को छोड़ने चला जाता है आशा को कहता है आते वक्त में खाने के लिए कुछ लता हूं आप दोनो आराम करना ऐसा बोल कर चारो निकलते हे जाने के लिए

                रामप्रकाश बोलता हे मां तुम सो जाओ में कुछ देर TV देखता हूं तभी आकाश का फोन आता हे दोनो आकाश से बात करके सो जाते हे दुपहर में रमेश बाहर से खाना लेकर आता हे तीनो एक ही थाली में खाने बैठते हे खाना खा कर रमेश सो जाता है आशा रामप्रकाश के साथ महिमानो की यादि निकलने बैठती हे पत्रिका छपने के लिए शाम को जब रमेश उठकर बाहर आता हे तभी आशा चाय दे कर पत्रिका छपने के लिए बोलती हे 

                रमेश पत्रिका छपने चला जाता हे आशा खाना बनाने लगती हे रामप्रकाश TV देखते देखते कपड़े ठीक से रखता है रात को रमेश आता हे और तीनो खाना खा कर सोते हे अगली सुबह रमेश अपनी दुकान चला जाता हे और आशा अपने काम पर लग जाति हे आज आकाश की अखरी परीक्षा हे और रटको ही घर आने के लिए निकले वलाथा 

                   शादी की तयारी शुरू होती ही घर में अलग सी रौनक अति हे सब व्यस्त रहते हे शादी की तयारी में, अगली सुबह जल्दी आकाश भी आता हे आकर वैसे ही हॉल में सो जाता है। रमेश नहा कर आता हे तब आकाश को देख बोलता हे ये कब आया मां मुझे तो पताही नही फिर आशा बोलती हे सुबह 5 बजे आया है तुम कहा चले रमेश बोलता हे दुकान चला आज ग्राहक बहुत है ना 

                 आकाश और रामप्रकाश दुपहर तक सोते हे और दुपहर खाने के वक्त उठाते हे दोनो नहाकर आते है तभी रमेश आता हे चारो खाना खाते हे और शादी के कपड़े, शगुन और मंगलसूत्र लेने जाते हे 

                   रात में मेहमान आने लगते ही शगुन एक दूसरे के घर भेजते हे शादी के पहले एक दो रस्मे होते है और आखिर में शादी होती है। आशा अपनी बहु को धूम धाम से घर लाती है शादी के बाद सब खुशी से साथ रहते हे एक दूसरे का खयाल रख कर 

 

सीख:–

 परिवार अपनो से बनता हे खुशी से साथ रहोगे तो ही परिवार बने रहता है।