कुछ मेरी कलम से
मेरे मन की बात
वह बातें मेरे मन में
बसीं है
वह बातें में कलमों से
ही बयान करती हूँ
क्या करु कोई नहीं
मेरे साथ
जिसके साथ में मन की
बातें करू
मेरी सोच, मेरे विचार
मेरे साथी से मिलते नहीं
फिर मन की बात आइ
कलमों पर
यह कलम ही हे
मेरा सब कुछ
यही हे अब जीवन का
साहारा
यही हे मन बहलाने का
तरीका
जो मन चाहे लिखूँ
जो मन करे वह कहूं
कुछ मेरी भी कलम से
मेरे मन की बात
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