एक राजा था उसकी 2 रानिया थी राजा पहली रानिसे जादा दुसरी रानी से प्यार करता था पहली रानी बोहत समजदार थी चंचल थी और बुद्धिमान थी खाना भी स्वादिष्ट बनाया करती थी राजा को पहली रानी ने बनाया हुवा खाना बोहत ही पसंद था
              और दुसरी रानी बोहत ही आलसी थी वो सिर्फ खुद में ही खोई रहती थी उसको तैयार होना, रंगीन साडी या, गहने, लाली, पावडर लगाना पसंद था वो दिन भर खुद को सवरने में लगी रहती थी 
             पहली रानी को तो तुछ मानती थी ओर बोहत घमण्डी थी हर किसी को कोनसी भी बातो पे फटकारती थी लोग उसे ना पसंद करते थे लेकिन राजाको वह पसंद थी
             एक दिन राजा दोनों रानी योंको लेकर जंगल घूमने जाता है उसके साथ उसके सिपाई भी थे घूमते-घूमते रजा को प्यास लगती है राजा अपनी दोनों रानी योंको कहता है मुझे प्यास लगी है तुम दोनी जाकर मेरे लिए पानी लेकर आओ 
               तभी पहली रानी कहती है जी महाराज पानी के साथ कुछ फल भी ले आती हूं फिर दोनों रानियां फल और पानी धूड़ने चली जाती है चलते- चलते दुसरी रानी पहली रानी को कहती है में तुमसे ज्यादा खुबसूरत हूं इस लिए महाराज मुझे ज्यादा पसंद करते है
               पहली रानी दुसरी रानी की बात सुनकर हँसती है और कहती है ठीक है तुम मुझसे ज्यादा खुबसूरत हो और आगे चली जाती है कुछ फल लेती है और उसको एक कुआँ दीखता हे वह दुसरी रानी को दिखाती है
               पहली रानी पानी निकालनेके लिए नीचे बैठती है तभी दूसरी रानी उसके सर में बड़ा फतर लेकर  मरती है उसके सारे गहने निकालती है और छुपा लेती है रानी को कुवे में धकेलती है 
                बोहत देर हो जाती है रानिया लौठी नहीं इस लिए राजा ढूंढते हुवे आता है तभी दुसरी रानी रो रो कर कहती है महाराज आपकी पहली रानी पानी लेने गई और फिसल कर कुवे में गिरी मेंने निकालनेकी कोशिश की लेकिन पानी में डूब गई राजा बोहत रोता है 
               मेहेल में आने के बाद राजा गुमसुम रहने लगा किसीसे बात भी नहीं करता था पहली रानी के गम से बहर निकलना उसके लिए कठिन होगया था एक दिन वह घूमने फहिर जंगल जाता है 
             जाते जाते राजा को वह कुवा दीखता है उस कुवे में एक सुंदर कमल का फूल उमला था राजा को कमाल पसंद थे राजा सैनिक को कहता है मुझे कमल का फूल लेकर आजाओ  जैसे सैनिक कमल को छूने लगता है वैसे कमल दूर जाता है
              फिर राजा खुद कमल तोड़ने के लिए कुवे के पास आता है तभी कमल राजा के पास खुद आता है राजा महेल जाने के बाद रानी को कमल का फूल देता है रानी खुश होक पूछती है कि कमल कहासे लाया???
             राजा कहता है जंगल के कूव्वे से रानी घुस्से से कमल तोड़ कर बगीचे में फेकती है अगली सुबह राजा जब बगीचे में टेहलने जाता है तो उसे मेथी की सब्जी उगी हुई दिखती है राजा सब्जी लेके रानी के पास आता है
            रानी को सब्जी दे कर कहता है मुझे ये सब्जी बनाके दो तब रानी कहती है कि बनाके देती हूँ लेकिन आपने कहासे लाई तब राजा कहता है बगीचे में  टेहलने गया था वाहासे लेआया
             रानी घुस्से से पागल होती है सेनिक को बुलाती है और कहती है कि दूर जाकर फेको और दूसरी सब्जी लेकर आओ 
              कुछ दिन बीत  जाने के बाद राजा कहता है कि में अपनी प्रजा को मिलने खुद जाऊंगा सबका हाल छाल पूछने रानी कहती है में भी साथ चलूँगी फिर राजा रानी दोनों प्रजाको मिलने जाता है सोना, चाँदी, गेहू, चावल, मोती लेके जाता है 
              अपनी प्रजा को मिलकर राजा खुश होता है फहिर एक झोपड़ी मेसे एक दादी माँ आती है राजा को बोलती है बैठा  अंदर आओ मेरे पास तुम्हे देने के लिए कुछ नहीं है लेकिन मेरे कठहल के पेड़ को एक ही बड़ा कठहल आया ये तो में वह थोड़ कर तुम्हे खिलाना चाहती हूँ फिर राजा झोपड़ीमे बैठता हैं 
                दादी माँ कठहल लेके अति है तभी कठहल से आवाज आती है मुझे बीच मेसे काठो दादी माँ घबराती है राजा रानी अधैर्य होते है राजा कहता है दादी माँ बिच मेसे काठो फिर दादी माँ बिच मेसे कठहल काटती है 
              तब बिच मेसे पहली रानी निकलती है उसे देख कर राजा रोने लगता है और दुसरी रानी घबरा जाती है राजा पहिली रानी को पूछता है कि तुम कठहल से कैसे निकली क्या हूवा था???
             पहली रानी सब सच्चाई बताती है फहिर राजा गुस्सेसे दुसरी रानी को मइके भेजता है फिर दोनों मिलकर राजमेहेल जाते है और ख़ुशी से प्रजा को संभालते है