सायली नम की एक लडकी थी, वह पढ़ाई में बोहत ही हशीयार थी. हर काम मे आगे होतीं एक दिन उस की शादी किरण नाम के लड़के के साथ होती हैं । किरण एक company में accountant था. उस के घर में माँ और छोटी बहन थी किरण के पिताजी का कुछ साल पहिले निधन हुवा था l
                       सयली के पिताजी सयली की शादी बड़े ही धूम- धाम से करवाते है। सयली उनकी एकलोती बेटी थी. सयली के घर मे उस के माँ और पिता रहते थे । दूसरी औलाद नहीं होने के कारण सयली को बड़े ही प्यार से, नाजूको से संभाला था। 
                       सयली ससुराल जाती हैं। उसकी सास चेहरे से ही घमंडी दिखाई देती थी. और ननद दिखाने मे मासुम थी लेकिन बोहत ही झगड़ेलू थी ।
                       अगले दिन सयली को सास बोलती है बहू आज से तुम ही घर का काम और खाना बनाया करो. ऐसा बोल कर सयली की सास अपने कमरे मे चली जाती है। तभी वह उसकी ननद आती है । सयली उसकी ननद को कहती है, मुझें रसोई का समान कहा रखा है वह बताओ.
                         तभी ननद बोलती है बहू आप हो या में तुम तुम्हारा काम कारों मुझसे सवाल मत करो. ऐसा बोल कर T.V देखने लगी. सयली रसोई मे जाती हैं। खुद समान ढूँढ कर खाना बनाती हैं।  
                        घर का सारा काम अकेली ही करती रहती हैं। कुछ साल बित जाते हैं। सयली को एक प्यारी लड़की होतीं हैं । वह अपने मायके चली जाती हैं। कुछ दिन बाद किरण सयली और उसकी बेटी को लेने चला जाता हैं । कुछ दिन वह ससुराल रहता हैं ।
                        किरण, सयली और अपनी बेटी को अपने घर ले आता हैं । अगले दिन किरण अपने Job पे चले जाने के बाद सास सयली को घुसे से बोलती है करम जली इतने दिन मैके मे कोई रहता है क्या??? अब उठो और सारा काम करो. 
                         सयली अपने बेटी को सुला कर अपने- अपने काम मे लग जाती हैं । सयली घर का काम करते- करते बची को भी संभाला करती हैं। सयली अकेले मे ही रोती रहती है। वह मन ही मन मे कहती है में बहु हु या नोकरानी