आज ये बारिश बोहत बरसने लगीं हैं। रूकने का नाम नहीं ले रही. जी करता है बारिश में झूम उठू सड़क पर दुर- दुर तक कोई नहीं. हर लोग दरवाजा बंद करके घर में बैठे है। क्या करु भीगने का बोहत शौक है मुझे. थोड़ी देर बाद थोड़ी बारिश रूक गई हल्की धूप निकली धूप में बारिश रींम-झिंम बरसने लगीं हलकी हवा आने लगी खुद को रोकना अब मुश्किल हो रहा था। में छत पर आके भीगने लगीं ये बूंदें मुझे आराम देने लगी ओर हलकी हवा बदन को छूने लगीं शरीर पर रोंगटे आने लगे में पुरी तरह भीग चुकी थी। अब माँ पीछे से आवाज देने लगी अंदर आजा नही तो मार पडेगी. में ने कहा माँ जरा ठेरो ये दीन ये मौसम फिर नहीं आयेगा आज मुझे भीगने दे में रोज़ -रोज़ थोड़ी ना भीगती हु. माँ थोड़ी देर रूख के चलीं जाती है। में बारिश में खेल ने लगीं पानी में कूदने लगीं मन में गुनगुनाते हुए उछल कूद करने में बड़ा मजा आने लगा अब बोहत देर होचुकी थी बारिश में भीगते-भीगते समय का पता चला नहीं शाम होगइ लेकिन बारिश नहीं रूखी ओर में ये शाम मस्तानी गाना गुनगुनाते हुए चली गई।