खश नसीब होते है वो लोग जिन्हें बेटी होती है। बेटीयां बोहत मासूम होती हैं। इन्हें पनछि जैसे उड़ने दो उनके पर मत काटो बेटीयों को पढ़ने दो जिंदगी में आगे बढ़ कर अपनी पहचान बनाने दो बेटीयां एक गुलदस्ता है। घर की शोभा है। आज के जमाने में लड़की - लड़कों तरा है। इन में भेद मत करो लड़कों की तरह लड़कियां काम करती है। लड़की - लड़के एक समान है। इन चार दीवारों से बाहर निकालो. उनका जीवन खुद के हिसाब से जीने दो. अपने बच्ची पर पुरा भरोसा रखो आगे बढ़ने दो, जीवन में शादी तो करनी है। अभी सिर्फ पढ़ाई, खेल कूद करने दो। लड़कियों के लिये (जोतीबा राव फुले इन्होंने 15 मई 1848 को पुणे के भीड़वाडा में स्कूल खोला, तो वहा सावीत्री बाई फुले मुख्य अध्यापिका बनी ) ओर इनका एक इतिहास बना ओर तब से लड़कियां स्कूल जाने लगी. वैसे ही कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं। कर्णम मल्लेश्वरी (जन्म: 1 जून 1975) भारत की महिला भारोत्तोलक (वेटलिफ़्टर) हैं। वे ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी हैं। गौहर जान (जन्म नाम एंजेलीना योवार्ड, 26 जून 1873 – 17 जनवरी 1930) कलकत्ता की एक भारतीय गायिका एवं नर्तिका थीं। वे 78 आरपीएम रिकॉर्ड पर संगीत रिकॉर्ड करने वाली भारत की पहली कलाकारों में से एक थीं जिसे ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड पर ग्रामोफोन कंपनी जारी किया गया। राजकुमारी अमृत कौर पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला। जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित पहले मंत्रिमंडल में वे शामिल थीं। उन्होंने स्वास्थ्‍य मंत्रालय का कार्यभार 1957 तक सँभाला। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की स्थापना में उनकी प्रमुख भूमिका रही। इन की तरह हमारी बेटियों को सफल बन्ना है। अपनी बेटियों के साथ हर काम में हर लड़ाई में साथ रहो. साथ चलो. बेटियों को अन देखा मत करो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बेटी को आगे बढ़ने दो